Thursday, October 31, 2013

परवाना

खिलते कमल-सा चेहरा, आँखों में समंदर सा गहरा,
कोई सोच भी नहीं सकता, क्यूँ लगा है तुझ पर पहरा...

ताज़गी हो गुलाब की तुम,
महकाती हो गुलशन,
भंवरा हूँ मैं बागवाँ में,
भटकता हूँ मैं दर-बदर...

शम्मां है तूं रात की,
क्यूँ ढलती है तूं हर पहर,
परवाना हूँ मैं इस शाम का,
जलता हूँ क्यूँ मैं इस क़दर

#09082007

Chetan Jaura


क्यूँ भूल जाती हो....

तड़पाती हो, तरसाती हो,
मगर
यादों से नहीं जाती हो,
एक अधुरा ख़ाब हो,
बस
हक़ीक़त नहीं बन पाती हो...
वक़्त बीता
एहसास हुआ हमें जुदाई का,
बरसों पुरानी मय की तरह
आँखों में
अब भी उतर जाती हो...
कभी पलकों पर,
तो कभी
दिल में दस्तक देती हो,
और फिर
दूर... कहीं धुएं में
ना जाने
कहाँ खो जाती हो...
जो तन्हा पाते हैं
खुद को,
तुम हमें याद आती हो,
जो तन्हा खुद को पाती हो,
हमें क्यूँ भूल जाती हो....

#26032005

काश... The Part of Things

काश...
कि आज तुम मेरे
करीब होते,
लग के गले मै तुमसे
रोता बहुत
हाँ... रोता बहुत,
काश...
कि तुम इस दिल की
धडकन समझ पाते,
जो लेती है नाम
सिर्फ़ तुम्हारा,
काश...
कि तुम इन अश्क़ों को
समझ पाते,
जो बहते हैं तेरी याद में,
इन यादों के धागों से
मैनें ख़ाब संजोए हैं तुम्हारे
इन आँखों में,
काश...
कि तुम मुझको
समझ पाते,
तो मुझ से यूँ
दूर ना जाते,
मैने तुम्हारे एहसास को
दिल में बसा रखा है,
उम्र भर के लिए...

#1811200314201430

Chetan Jaura


Wednesday, October 30, 2013

अधूरी मोहब्बत

आज भी अधूरी है
वो महोब्बत, वो प्यार,
जिसे पाने को
बेताब था कभी,

आज भी अधूरे हैं,
कुछ रिश्ते,
जो चाह कर भी ना बन
सके हम में कभी.....


#03032005

Chetan Jaura


Tuesday, October 29, 2013

बाकि है...

है जिंदगी की हसीन इक रात बाकि,
है दिल से निकले जज़्बात बाकि,
है फूलों से भरी शौगात बाकि,
है तेरे वादे की अधूरी मुलाकात बाकि....
बाकि है अभी वो दिन
कि जुदा हो गये हमसे,
बाकि है अभी तक बात
कि ख़फा हो गये हमसे,

गुज़रते वक़्त के साथ,
भूल भी जाओ लेकिन,
भुला ना पाएंगे तुमको,
कभी हम, कभी हम, कभी हम...


#24072012

आईना The Mirror

काग़ज़ के फूलों से, वो ख़ुश्बू ढूँढता रहा,
दिल मेरा तोड़कर भी, आँखें मूँदता रहा,
इक नक्श था कोई, इक अक्स था कोई,
ताउम्र आईने में, जिसे ढूँढता रहा,
मैं जानता था, तब नादान था वो शख्स,
दिल को जो तोड़कर, वो मुझसे पूछता रहा,
वो जिस्म से नहीं, था मेरी रूह जुड़ा,
इक उम्र तक जिसे, मैं यूँ ही पूजता रहा,
लड़खड़ाती ज़ुबाँ से, था कहा अलविदा उसे,
"कहीं तन्हा तो नहीं मैं?", वो यहीं सोचता रहा...

#180720131529

Chetan Jaura

Monday, October 28, 2013

महामृत्युंजय कवच

महामृत्युंजय कवच

श्री गणेशाय नमः ।
भैरव उवाच ।

श्रृणुष्व परमेशानि कवचं मन्मुखोदितम ।
महामृत्युञ जयस्यास्य न देयं परमाद्भुतम ॥ १॥

यं धृत्वा यं पठित्वा च श्रुत्वा च कवचोत्तमम ।
त्रैलोक्याधिपतिर्भूत्वा सुखितो.अस्मि महेश्वरि ॥ २॥

तदेववर्णयिष्यामि तव प्रीत्या वरानने ।
तथापि परमं तत्वं न दातव्यं दुरात्मने ॥ ३॥

विनियोगः
अस्य श्रीमहामृत्युञ जयकवचस्य श्रीभैरव ऋषिः\,
गायत्रीच्हन्दः\, श्रीमहामृत्युञ जयो महारुद्रो देवता\,
ॐ बीजं\, जूं शक तिः\, सः कीलकं\, ह्रौमिति तत्वं\,
चतुर्वर्गसाधने मृत्युञ जयकवचपाठे विनियोगः ।

चन्द्रमण्डलमध्यस्थं रुद्रं भाले विचिन्त्य तम ।
तत्रस्थं चिन्तयेत साध्यं मृत्युं प्राप्तो.अपि जीवति ॥ १॥

ॐ जूं सः ह्रौं शिरः पातु देवो मृत्युञ जयो मम ।
ॐ श्रीं शिवो ललाटं मे ॐ ह्रौं भ्रुवौ सदाशिवः ॥ २॥

नीलकण्ठो.अवतान्नेत्रे कपर्दी मे.अवताच्च्ह्रुती ।
त्रिलोचनो.अवताद गण्डौ नासां मे त्रिपुरान्तकः ॥ ३॥

मुखं पीयूषघटभृदोष्ठौ मे कृत्तिकाम्बरः ।
हनुं मे हाटकेशनो मुखं बटुकभैरवः ॥ ४॥

कन्धरां कालमथनो गलं गणप्रियो.अवतु ।
स्कन्धौ स्कन्दपिता पातु हस्तौ मे गिरिशो.अवतु ॥ ५॥

नखान मे गिरिजानाथः पायादङ्गुलिसंयुतान ।
स्तनौ तारापतिः पातु वक्षः पशुपतिर्मम ॥ ६॥

कुक्षिं कुबेरवरदः पार्श्वौ मे मारशासनः ।
शर्वः पातु तथा नाभिं शूली पृष्ठं ममावतु ॥ ७॥

शिश्र्नं मे शङ्करः पातु गुह्यं गुह्यकवल्लभः ।
कटिं कालान्तकः पायादूरू मे.अन्धकघातकः ॥ ८॥

जागरूको.अवताज्जानू जङ्घे मे कालभैरवः ।
गुल्फो पायाज्जटाधारी पादौ मृत्युञ जयो.अवतु ॥ ९॥

पादादिमूर्धपर्यन्तमघोरः पातु मे सदा ।
शिरसः पादपर्यन्तं सद्योजातो ममावतु ॥ १०॥

रक्षाहीनं नामहीनं वपुः पात्वमृतेश्वरः ।
पूर्वे बलविकरणो दक्षिणे कालशासनः ॥ ११॥

पश्चिमे पार्वतीनाथो ह्युत्तरे मां मनोन्मनः ।
ऐशान्यामीश्वरः पायादाग्नेय्यामग्निलोचनः ॥ १२॥

नैऋत्यां शम्भुरव्यान्मां वायव्यां वायुवाहनः ।
उर्ध्वे बलप्रमथनः पाताले परमेश्वरः ॥ १३॥

दशदिक्षु सदा पातु महामृत्युञ जयश्च माम ।
रणे राजकुले द्यूते विषमे प्राणसंशये ॥ १४॥

पायाद ओं जूं महारुद्रो देवदेवो दशाक्षरः ।
प्रभाते पातु मां ब्रह्मा मध्याह्ने भैरवो.अवतु ॥ १५॥

सायं सर्वेश्वरः पातु निशायां नित्यचेतनः ।
अर्धरात्रे महादेवो निशान्ते मां महोमयः ॥ १६॥

सर्वदा सर्वतः पातु ॐ जूं सः ह्रौं मृत्युञ जयः ।
इतीदं कवचं पुण्यं त्रिषु लोकेषु दुर्लभम ॥ १७॥
फलश्रुति 
सर्वमन त्रमयं गुह्यं सर्वतन त्रेषु गोपितम ।
पुण्यं पुण्यप्रदं दिव्यं देवदेवाधिदैवतम ॥ १८॥

य इदं च पठेन्मन त्री कवचं वार्चयेत ततः ।
तस्य हस्ते महादेवि त्र्यम्बकस्याष्ट सिद्धयः ॥ १९॥

रणे धृत्वा चरेद्युद्धं हत्वा शत्रूञ जयं लभेत ।
जयं कृत्वा गृहं देवि सम्प्राप्स्यति सुखी पुनः ॥ २०॥

महाभये महारोगे महामारीभये तथा ।
दुर्भिक्षे शत्रुसंहारे पठेत कवचमादरात ॥ २१॥

सर्व तत प्रशमं याति मृत्युञ जयप्रसादतः ।
धनं पुत्रान सुखं लक्ष्मीमारोग्यं सर्वसम्पदः ॥ २२॥

प्राप्नोति साधकः सद्यो देवि सत्यं न संशयः
इतीदं कवचं पुण्यं महामृत्युञ जयस्य तु ।
गोप्यं सिद्धिप्रदं गुह्यं गोपनीयं स्वयोनिवत ॥ २३॥
। इति श्रीरुद्रयामले तन त्रे श्रीदेवीरहस्ये 
मृत्युञ जयकवचं सम्पूर्णम ।

Monday, October 21, 2013

दस रुपये का नोट 2

राह चलते हुए
रस्ते में कुछ
दुकाने
और ठेले
हैं आते,

दुकानों में कहीं
बच्चों के खिलौने
तो कहीं
घर का सामान
है मिलता,
चटपटी चाट,
पानी-पुरी
और अजब-गजब सा
खाने को
है मिलता,
घर तक जाते-जाते
अकसर
सोचकर खामोश
हो जाता है वो,
जेब देख चुपचाप
खडा
घर की चौखट
पर,
दरवाजा खटखटाता
है वो,
क्या है उसकी
जेब में ऐसा?
जिसे देख
घबराता है वो...!
कोई और नहीं
है
मैं ही हूं वो,
नोट हूं दस का
फटा-पुराना,
कहने को है
पैसा सब कुछ
कीमत में कुछ
खास नहीं मैं,
पहले था मैं
बच्चों का सपना
अब मुझको भी
भूल गए वो,
अजीज था मैं
हर शख्स का
पहले
अब मुझको भी
छोड गए वो,
जैसे कि इस
शख्स की खातिर,
अब भी मैं कुछ
कर ना सका,
मुद्दत पहले भी
वो ऐसे,
मुझसे सपने
संजोता था,
क्या खरीदे पहले
मेरे बदले,
ये सोच वो
चुप हो जाता था,
बचपन था तब
शायद उसका,
बचपन की कुछ
यादें थी,
कुल्फ़ी, लच्छे,
मेसू, बेर,
झूले-खिलौने
और जादू के खेल,
ये सब बातें याद
थी उसको,
भूला नहीं था कुछ
भी वो,
मेरे संग जो उसने
जीए,
साल बहुत अनमोल
थे वो,
सपने, लम्हे, यादें,
पल-छिन,
सब के ही मैं साथ
जुडा,
नोट हूं दस का
खाब संजोता,
हर पल को मैं
तागों में पिरोता,
नोट हूं मैं दस का,
हां...
नोट हूं मैं दस का...

#191020132224

Chetan Jaura

Friday, October 4, 2013

नज़्म

 मरने के बाद उनके, उनकी नज़्म पढी,
मालूम हुआ, कि जिंदा... वो उस नज़्म में है...
August 1' 2012
पढते तो शौंक से हो, नज्में कभी कभी,
मगर वो दिल में जिदा, तुम देखते नहीं...
August 2' 2012
 देखा जो दिल में हमने , दिलबर नज़र आया,
ना उसके सिवा कोई, हमको नज़र आया...
August 3' 2012
पहचान जाते जो तुम, मरते ना वो कभी,
उस दिल्लगी के बाद ही, नज्में थी ये लिखीं...
जो चाहते उसे दिल से, दिलबर वो बन जाता,
ना उसके सिवा कोई, तुमको नज़र आता...
August 5' 2012
है कौन सा सफ़र ये, है कौन सी डगर ये,
किस शहर से है आई, आब-ओ-हवा ये ग़म की,
क्यूं आज तुमने छेडा, तराना ये शायरी का,
ये दिल्लगी नहीं, हक़ीक़त है जिन्दगी की...
August 5' 2012
तराना ये शायरी का, इसे दिल्लगी ना समझो,
जो जिन्दगी से सिखा, तुमको बता रहे हैं,
है इश्क़ का सफ़र ये, हर क़दम पे बेवफ़ा हैं,
हैं दिलजले वहाँ पर, जिस शहर में हम रहते...
 August 6' 2012

Tribute to मीना कुमारी

Chetan Jaura

ये आरजु

इक आरजु थी दिल की, जो दिल में रह गई,
कुछ इस तरह से उसकी, हर आरजु दबी...
August 1' 2012 
क्या आरजु थी उसकी, जो दिल में रह गई,
हर आरजु को पूरा, हम करेंगे दिल से...
August 2' 2012
ये आरजु थी दिल की, दिल में छुपा लो तुम,
गर मौत लेने आए, तो ढूंढ ना पाए...

August 3' 2012
ना ढूंढ पाएगी, जो मौत आई तो,
कुछ इस तरह से तुमको, दिल में छुपा लेंगे...
August 5' 2012

ना कोई जिन्दगी में, अपना मिला उसे.....

जिन्दगी में आज, कुछ ऐसे मोड आए
उनकी वफ़ा की खातिर, हम बेवफ़ा हुए,
वो रुठ जाएं,ऐसी कोई ना बात थी,
खफ़ा वो हमसे होकर, अब जुदा हुए...
August 1' 2012
अपनी वफ़ा की खातिर, वो बेवफ़ा हुए,
ना कोई जिन्दगी में, अपना मिला उसे?
August 2' 2012
ये दिल की बात तुमने, सच्ची कही है जानिब,
ना कोई जिन्दगी में, अपना मिला उसे.....
August 3' 2012

फूलों को जब भी छुआ

फूलों को जब छुआ, काँटे थे साथ पाए,
कि उनकी जिन्दगी में, गम थे बहुत से आए...
August 1' 2012
 वो गम को जिन्दगी भर बताते नहीं कभी,
कि साथ जिनके हमसफ़र, होते नहीं कभी...
August 2' 2012
उस हमसफ़र को अक्सर, वो ढूंढ्ते रहे,
जो दिल से उनको चाहे, और चाहता रहे...
August 3' 2012
ढुंढा किए क्यूँ अकसर, उस हमसफ़र को तुम,
कि सामने तुम्हारे, हम दिल लिये खडे...
August 5' 2012


Tribute to मीना कुमारी

Chetan Jaura

ये लाशें, ये क़ातिल

"ये लाशें, ये क़ातिल, है कौन सा शहर ये,
इस शहर में तो अकसर, पत्थर के दिल हैं मिलते..."
July 31' 2012
"कुछ लोग दिल के पत्थर, हैं सब नहीं यहाँ,
तुम खामखां ही सबको बदनाम कर रहे..."

"करते ना हम किसी को, बदनाम यूं जनाब,
इक बेवफ़ा ने हमको, धोखा दिया यहाँ..."

"है कौन बेवफ़ा, किसने दिया है धोखा,
हम तो ना ऐसे थे, फिर किस को ये कहा..."

"ना तुमको ये कहा, क्यूं तुम हुए खफ़ा,
इक बेवफ़ा थी जिसको, हमने था ये कहा..."
August 2' 2012


Chetan Jaura

Thursday, October 3, 2013

तुम, जिन्दगी और मौसम - U, Life & Season

कभी पत्तों की आहट से
मुझे लगता है आए हो,
मेरी इस जिंदगी में तुम
दोबारा फिर से आए हो...
कि पतझड बीत चुका है
सावन की पहली बारिश से,
यादें अपनी लेकर तुम
सावन में फिर से आए हो...
क्या कोई ख्वाब लाए हो?
मेरी इस जिंदगी में तुम,
या अपनी क़ुरबतों के साथ
खाली हाथ आए हो.....


क़ुरबतों=नजदीकीयों [नजदीक, करीब]

#031020130720

Chetan Jaura

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