Thursday, October 31, 2013

क्यूँ भूल जाती हो....

तड़पाती हो, तरसाती हो,
मगर
यादों से नहीं जाती हो,
एक अधुरा ख़ाब हो,
बस
हक़ीक़त नहीं बन पाती हो...
वक़्त बीता
एहसास हुआ हमें जुदाई का,
बरसों पुरानी मय की तरह
आँखों में
अब भी उतर जाती हो...
कभी पलकों पर,
तो कभी
दिल में दस्तक देती हो,
और फिर
दूर... कहीं धुएं में
ना जाने
कहाँ खो जाती हो...
जो तन्हा पाते हैं
खुद को,
तुम हमें याद आती हो,
जो तन्हा खुद को पाती हो,
हमें क्यूँ भूल जाती हो....

#26032005

No comments:

Pages

Follow Me......