"ये लाशें, ये क़ातिल, है कौन सा शहर ये,
इस शहर में तो अकसर, पत्थर के दिल हैं मिलते..."
July 31' 2012
"कुछ लोग दिल के पत्थर, हैं सब नहीं यहाँ,
तुम खामखां ही सबको बदनाम कर रहे..."
"करते ना हम किसी को, बदनाम यूं जनाब,
इक बेवफ़ा ने हमको, धोखा दिया यहाँ..."
"है कौन बेवफ़ा, किसने दिया है धोखा,
हम तो ना ऐसे थे, फिर किस को ये कहा..."
"ना तुमको ये कहा, क्यूं तुम हुए खफ़ा,
इक बेवफ़ा थी जिसको, हमने था ये कहा..."
August 2' 2012
No comments:
Post a Comment