मैं हूं
नोट दस रुपये का,
अस्तित्व बस इतना
कि हूं मैं सिर्फ़ कागज का,
एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं,
हजारों हाथों में सफ़र करता हूं मैं,
कुछ लोगों को मैं
भगवान
मगर अविष्कार
इंसान का ही कहलाता हूं मैं,
बिन बोले ही नाम बता देता हूं,
शक्ल के तौर पे सरकारी
मौहरें मिली हैं मुझे
मैं इंसान नहीं, फिर भी कभी
पूछता हूं खुद से,
#270720031730
To Be Countinue........
नोट दस रुपये का,
अस्तित्व बस इतना
कि हूं मैं सिर्फ़ कागज का,
आज की दुनिया मेंहर दिन, हर जगह, हर वक़्त
सबको अच्छा लगता हूं मैं,
ना गाडी, ना जहा, ना बस में
सफ़र करता हूं मैं,
एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं,
हजारों हाथों में सफ़र करता हूं मैं,
कुछ लोगों को मैं
अनन्त सीमाओं तक ले जाता हूं,कुछ लोग मुझे मानते है
और.....
कुछ को सिर्फ़
हक़ीक़त से
सामना करवाता हूं,
भगवान
मगर अविष्कार
इंसान का ही कहलाता हूं मैं,
कोई मुझसे अपनेना पैर, ना हाथ, ना तन, ना मन
सपने खरीद लेता है,
कोई एक हाथ से,
मुझे दुसरे हाथ में देता है,
कोई इस दुनिया में
मेरी कीमत जान लेता है,
तो कोई, कभी य्हां मेरा
वजूद पहचान लेता है,
बिन बोले ही नाम बता देता हूं,
शक्ल के तौर पे सरकारी
मौहरें मिली हैं मुझे
मैं इंसान नहीं, फिर भी कभी
पूछता हूं खुद से,
"आखिर मेरा वजूद क्या है?"
फिर शांत होने पर याद आता है,
नोट हूं मैं दस रुपये का...........
#270720031730
To Be Countinue........
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