Wednesday, September 18, 2013

दस रुपये का नोट

मैं हूं
नोट दस रुपये का,
अस्तित्व बस इतना
कि हूं मैं सिर्फ़ कागज का,
आज की दुनिया में
सबको अच्छा लगता हूं मैं,
ना गाडी, ना जहा, ना बस में
सफ़र करता हूं मैं,
हर दिन, हर जगह, हर वक़्त
एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं,
हजारों हाथों में सफ़र करता हूं मैं,
कुछ लोगों को मैं
अनन्त सीमाओं तक ले जाता हूं,
और.....
कुछ को सिर्फ़
हक़ीक़त से
सामना करवाता हूं,
कुछ लोग मुझे मानते है
भगवान
मगर अविष्कार
इंसान का ही कहलाता हूं मैं,
कोई मुझसे अपने
सपने खरीद लेता है,
कोई एक हाथ से,
मुझे दुसरे हाथ में देता है,
कोई इस दुनिया में
मेरी कीमत जान लेता है,
तो कोई, कभी य्हां मेरा
वजूद पहचान लेता है,
ना पैर, ना हाथ, ना तन, ना मन
बिन बोले ही नाम बता देता हूं,
शक्ल के तौर पे सरकारी
मौहरें मिली हैं मुझे
मैं इंसान नहीं, फिर भी कभी
पूछता हूं खुद से,
"आखिर मेरा वजूद क्या है?"
फिर शांत होने पर याद आता है,
नोट हूं मैं दस रुपये का...........




#270720031730

To Be Countinue........


-Chetan Jaura

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