कोई खुश्बू हो, या हो तुम जादू,
अब रहा ना मेरे दिल पर भी काबू...
कौन हो तुम,
कैसी आहट गूंजती है
इन कानों में,
किसकी गर्मी है
इन सांसों में,
है खुद पर यक़ीन, मगर
फिर भी, है किसकी नमीं
इन आंखों में...
कौन हो तुम,
मेरे दिल का करार लूटा
है क्यूं,
और...
मुझे बेचैन किया है क्यूं,
छुप - छुप कर यूं सताती हो,
तडपाती हो, बता दो जरा
ऐसा रिश्ता मुझसे बनाया है क्यूं...
कौन हो तुम,
जिसको पुकारती है धडकन मेरी
सांसें मेरी,
जिसके दीदार को बेकरार है
ये आंखें मेरी,
आखिर क्यूं,
सिर्फ़ तुम्हारा ही इंतजार हैं करती
राहें मेरी...
आखिर कौन हो तुम...?
#03/07082004
From: "Zannat"
अब रहा ना मेरे दिल पर भी काबू...
कौन हो तुम,
कैसी आहट गूंजती है
इन कानों में,
किसकी गर्मी है
इन सांसों में,
है खुद पर यक़ीन, मगर
फिर भी, है किसकी नमीं
इन आंखों में...
कौन हो तुम,
मेरे दिल का करार लूटा
है क्यूं,
और...
मुझे बेचैन किया है क्यूं,
छुप - छुप कर यूं सताती हो,
तडपाती हो, बता दो जरा
ऐसा रिश्ता मुझसे बनाया है क्यूं...
कौन हो तुम,
जिसको पुकारती है धडकन मेरी
सांसें मेरी,
जिसके दीदार को बेकरार है
ये आंखें मेरी,
आखिर क्यूं,
सिर्फ़ तुम्हारा ही इंतजार हैं करती
राहें मेरी...
आखिर कौन हो तुम...?
#03/07082004
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