मेरी आरजु
बस तुमसे है,
ये आरजु इस दिल में है
और तुम भी तो इस दिल में हो...
तुम्हें देखना
तुम्हें चाहना
पाकर तुम्हें, खोना नहीं
तुम आरजु इस दिल की हो...
तुम्हें दूर मैं
लेकर चलूं
इस जहान् से, हर जहान् से
जहां चैन हो, करार हो
चारों तरफ़ ही बहार हो...
तुम्हें देखकर
सोचता हूं मैं
सपना है ये, हक़ीक़त नहीं
तुमको मेरी जरूरत नहीं
फिर आरजु किस काम की
जिसमें कोई चाहत नहीं
जिसमें कोई मोहब्बत नहीं.....
#250920130720
From: "Zannat"
बस तुमसे है,
ये आरजु इस दिल में है
और तुम भी तो इस दिल में हो...
तुम्हें देखना
तुम्हें चाहना
पाकर तुम्हें, खोना नहीं
तुम आरजु इस दिल की हो...
तुम्हें दूर मैं
लेकर चलूं
इस जहान् से, हर जहान् से
जहां चैन हो, करार हो
चारों तरफ़ ही बहार हो...
तुम्हें देखकर
सोचता हूं मैं
सपना है ये, हक़ीक़त नहीं
तुमको मेरी जरूरत नहीं
फिर आरजु किस काम की
जिसमें कोई चाहत नहीं
जिसमें कोई मोहब्बत नहीं.....
#250920130720
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